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इतना एहसान कौन करता है?
किस के मरने पर कौन मरता है?
अपनी मंज़िल के सब मुसाफ़िर हैं
कौन किसके लिए ठहरता है?
लोग डरते हैं अपने साए से
अब यहां रब से कौन डरता है?
किसी को फिक्र नहीं है दरिया की
पानी पनघट पर कौन भरता है?
है एक शख़्स जो बुलंदी पर
सुबह चढ़ता है शब उतरता है
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