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कली का फूल बनना तय हुआ है
फिर माली को इसका भय हुआ है
श्रम का स्वाद जिसने भी चखा है
वही हर कार्य में विजय हुआ है
अहं को जिसने भी धारण किया है
निश्चित है कि उसका क्षय हुआ है
हर एक काली निशा के बाद ही तो
दिनकर का सदा उदय हुआ है
दुनिया का यही एक सच है केवल
किसी का भी नहीं ये समय हुआ है
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