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खुद से मिले हमको जमाना हो गया है,
हर नया किस्सा पुराना हो गया है।
अब कोई तरकीब सोचो तुम नयी भी,
ये तरीका अब पुराना हो गया है।
झूठ की कसमें नहीं खाते वफ़ा में,
सच बोलो या दिल लगाना हो गया है।
अब कोई लैला नहीं मजनू नहीं है,
आशिक यहां का अब सयाना हो गया है।
'मिश्र' तुम अब तो नयी गजलें सुनाओ
ये शेर और मतला पुराना हो गया है।
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