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ये नज़रिया है नज़र का दोस्तों

ये ज़माना है हुनर का दोस्तों


ये शज़र,बैठक और ये छांव सब

आशियाना है सफ़र का दोस्तों


सिर्फ ख़ुद पर ही भरोसा कीजिए

ये दौर है झूठी ख़बर का दोस्तों


सोचकर घर से निकलिये बार-बार

अम्न बिगड़ा है शहर का दोस्तों


न आदमी बदला नहीं बदला ख़ुदा

ये बदल है बस नज़र का दोस्तों


ये मुश्किलें,कठिनाइयां ये मुफ़लिसी

क्या बिगाड़ेगी निडर का दोस्तों


ये नवाजिश,ये इनायत राजसी

शायद ये सौदा है सर का दोस्तों


मुफ़्त में पैसे लुटाए जा रहे हैं

जश्न है कोई ज़फ़र का दोस्तों


इंसानियत का वक़्त है बेहद बुरा

ये इशारा है गजर का दोस्तों


हार कर भी लौटती हर बार फिर

देखिए जज़्बा लहर का दोस्तों

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