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ये नज़रिया है नज़र का दोस्तों
ये ज़माना है हुनर का दोस्तों
ये शज़र,बैठक और ये छांव सब
आशियाना है सफ़र का दोस्तों
सिर्फ ख़ुद पर ही भरोसा कीजिए
ये दौर है झूठी ख़बर का दोस्तों
सोचकर घर से निकलिये बार-बार
अम्न बिगड़ा है शहर का दोस्तों
न आदमी बदला नहीं बदला ख़ुदा
ये बदल है बस नज़र का दोस्तों
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