Share0 Bookmarks 36812 Reads0 Likes
दर्द का मौसम है फिलवक्त फ़िज़ाओं में
मौजूद है मोहब्बत अब सिर्फ दुआओं में
कोई भी पलट जाए आवाज़ तेरी सुनकर
इतनी सी कशिश रखना तुम अपनी सदाओं में
कांटे हैं दर्द बे-हद इस बेरहम दुनिया में
आ लौट चलें फिर से फूलों की पनाहों में
वादे कभी न करना झूठे मोहब्बत में
चाहत न कोई रखना बेशर्त वफ़ाओं में
क्या खूब महकती है मौसम की पहली बारिश
मिट्टी की सोंधी खुशबू जब मिलती है हवाओं में
तय कीमतें हैं सच की हर काम के मुताबिक
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments