दर्द का मौसम है फिलवक्त फ़िज़ाओं में's image
Zyada Poetry ContestPoetry2 min read

दर्द का मौसम है फिलवक्त फ़िज़ाओं में

Nivedan KumarNivedan Kumar April 22, 2022
Share0 Bookmarks 36812 Reads0 Likes

दर्द का मौसम है फिलवक्त फ़िज़ाओं में

मौजूद है मोहब्बत अब सिर्फ दुआओं में


कोई भी पलट जाए आवाज़ तेरी सुनकर

इतनी सी कशिश रखना तुम अपनी सदाओं में


कांटे हैं दर्द बे-हद इस बेरहम दुनिया में

आ लौट चलें फिर से फूलों की पनाहों में


वादे कभी न करना झूठे मोहब्बत में

चाहत न कोई रखना बेशर्त वफ़ाओं में


क्या खूब महकती है मौसम की पहली बारिश

मिट्टी की सोंधी खुशबू जब मिलती है हवाओं में


तय कीमतें हैं सच की हर काम के मुताबिक

Send Gift

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts