
Share0 Bookmarks 164 Reads1 Likes
जो जिंदगी ने दी मुझे बख्शीश की तरह
खुशियां मेरे नसीब में कुछ थी इस तरह
ख़ुद पर भी अब हमें वो एतबार नहीं है
अब जिंदगी लगती किसी साज़िश की तरह
बिखरे पड़े हैं हम कुछ यहां कुछ वहां
टूटे हुए जैसे किसी ख्वाहिश की तरह
गनीमत है मेरी साँस अब तक चल रही है
बेचैनी है इस ज़िस्म में लरजिश है इस तरह
अब सजा का डर नहीं न मौत का ग़म है
गुज़र रही है जिंदगी गर्दिश में इस तरह
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments