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न्याय अंधेरे में है,
और सत्य कटघरे में।
गवाह विश्वास को
ढूंढता फिर रहा है।
उस भीड़ में,
जहां कोई नहीं है।
न न्याय,न सत्य,न गवाह
और न विश्वास।
सब कुछ एक खेल की तरह चल रहा है,
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