आना-जाना's image
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शाम आना है सुब्ह जाना है

ज़िंदगी का कोई ठिकाना है


वक़्त ने ये हुनर सिखाया है

दर्द औ ग़म में मुस्कुराना है


बच के चलिए फरेबी लोगों से

कहीं नज़रें कहीं निशाना है


सब की बारी आएगी एक दिन

वक़्त ने सब को आज़माना है


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