काम से चलते समय मैंने अपने सहकर्मी से कहा, "सी यू लेटर।"
उसने पलटकर जवाब दिया, "फिर मिलेंगे"। साफ, शुद्ध, स्पष्ट हिन्दी में।
हम दोनों लगभग आठ महीने से साथ काम कर रहे हैं। वो गोरा है यहां की पैदाइश है, कीवी है और इतनी साफ हिन्दी। हम बात सिर्फ काम की या फिर क्रिकेट, रग्वी, बढ़ते क्राइम, बढ़ते दामों पर करते थे, कभी ना वो पर्सनल हुआ ना मैं।
पर जब उसने बोला 'फिर मिलेंगे'। तो मुझे आश्चर्य के साथ-साथ खुशी भी हुई। वो पहली बार था कि उसने मुझे आंखें मटकाते हुए भौहों को उचकाते हुए होठों पर मुस्कान के साथ शरारत के साथ देखा था। शायद आज उसका दिन अच्छा बीता था। मैंने भी एक भरी पूरी मुस्कान के साथ उत्तर दिया, 'जी, फिर मिलेंगे।'
मुझे लगा, फिर मिलेंगे एक मूवी का नाम है तो शायद उसको पसंद आई हो और शायद जहन में फिल्म की छवि अभी भी बरकरार है। वैसे भी जब से सबटाइटल का जमाना शुरू हुआ है तो फिल्में सिर्फ अपनी भाषा में ही नहीं देखी जाती।
अगले दिन फिर से काम खत्म करके जाने लगे तो इस बार मैंने कहा, 'फिर मिलेंगे'। उसने पलटकर कहा 'जरूर, भोले'। मैंने रुककर पूछा, 'क्या कहा'। ये ध्यान नहीं रहा कि वो अंग्रेज है उसे 'क्या कहा' समझ में नहीं आएगा। पर उसका जवाब सुनने के बाद वो मेरी पहली प्रतिक्रिया थी। पर वो समझ गया था उसने फिर उसी चं
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