
इस दंगे ने मेरे शहर में सरे आम आग लगाई है
कहते हैं साहब ये ईश्वर की अल्लाह से लड़ाई है
मौत का पैगाम लेकर सड़को पे भीड़ उतर आई है
कहते हैं साहब ये गीता की कुरान से लड़ाई है
तलवारो से ज़माने में इंसानियत काटी गई
बंदूकों से तमाम गलियों में सियासत बाटी गई
चंद मेहमानो को रियासत इस कदर रास आई,
बूढ़े बाप के कांधे पे जवान बेटे की लाश आई
सस्ती सी ज़िंदगियाँ गुमनामी में तब्दील हुई
बादशाहत लाशो के तख़्त पे बेशुमार मशहूर हुई
इस दंगे ने मेरे शहर में सरे आम आग लगाई है
कहते हैं साहब ये मंदिर की मस्जिद से लड़ाई है
पसरा है सन्नाटा, सड़के खून से बेतहासा नहाई है
उम्मीदों के मेरे शहर में, इस कदर मनहूसियत छाई है
धर्मो के वफादार, ऊँचे मकानों में आराम से रहते है
हुक्म की तामील में शाहपरस्त कत्ले आम किये बैठे हैं
नई सरकार देखते ही गोली मारो का आदेश लेकर आई है
मुस्कुरा रही अदालतें, अब मुकदमों की बारी जो आई है
चारो तरफ अँधेरा, मासूम चेहरों पे उदासी छाई है
कहते हैं साहब ये भगवे की हरे रंग से लड़ाई है
इस दंगे ने मेरे शहर में सरे आम आग लगाई है
कहते हैं साहब ये ईश्वर की अल्लाह से लड़ाई है
नितिन शर्मा।।
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