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सारा जग सुनसान पड़ा है,
कैसा वक्त आन खड़ा है
मानव हुआ मानव का दुश्मन,
प्रकृति का भी नुकसान बड़ा है,
हंसता घर वीरान पड़ा है
महज शक्ति पाने के चक्कर में
इतना भयंकर युद्ध छिड़ा है।
~ नितिन बेडवाल
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