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लोग भाग रहे हैं, बस भाग रहे हैं
वो कहते हैं, लाइफ इज़ ए रेस !
मैं नहीं मानता...
ये केवल एक भ्रम है,
हम किसी भी तरह की दौड़ में शामिल होने नहीं आये,
दौड़ना हमारी प्रकृति ही नहीं है,
यदि होती, तो ईश्वर हमें भी चारों पैर ही देता.
हमारी प्रकृति है, ठहराव...
और जीवन एक पड़ाव है, ठहराव
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