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जीवन में सबके अपने अपने मापदंड हैं,
उनके लिये अपने अपने रास्ते,
रास्तों पर अपना अपना विवेक और अपने अपने अनुभव।
इन्हीं अनुभवों से उपजता है अपना अपना तर्क,
और हर आदमी अपने तर्क के आगे दूसरे को तर्कहीन समझत
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