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सुनो जी, ना देना उपहार

Nitin Kr HaritNitin Kr Harit September 20, 2022
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तुम बस तुम हो, मैं बस मैं हूं, मिलें तभी साकार।

जो फैले इस थल से नभ तक, क्या बांटे कोई धार।

मन से मन के संबंधों में, ना क्षमा, नहीं आभार।

तन के नाते, तन संग जाते, तु

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