प्रेम पुष्प's image
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जब शांत हृदय के ठहरे जल पर, शब्द गढ़े जाते हैं,

आँख मूंद प्रेमावर्त मन से पूर्ण पढ़े जाते हैं।

एक एक आखर कह देता है, सारे संदेशों को,

स्वर शब्दों का ढह देता है, तन मन के भेषों को।

भेष नहीं तो भेद नहीं,

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