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नये ज़माने में अब भाई, नया फसाना होने दो,
गर नेता कोई सच बोले, तो जुर्माना होने दो।
मक्कारो के सुनो हौंसले, मिलकर और बुलंद करो,
जो भी बात करे मिलजुल कर, सबको साला बंद करो।
मरती पब्लिक, तो मर जाए, खेल सुहाना होने दो।
नये ज़माने में अब भाई, नया फसाना होने दो।।
प्राकृतिक सब गया भाड़ में, खूब कैमिकल जाने दो,
लौकी, तोरी, बैगन, खीरा, ट्रिपल साइज़ में आने दो।
दूध वूध अब नहीं चाहिए, जाम पुराना होने दो।
नये ज़माने में अब
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