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बहुत हुआ ऐ दिल, अब कहीं और, ना जाया जाए,
आज इतवार है, बस पूरा दिन, घर में बिताया जाए।
तेज पत्ती की, एक चाय, सच मिटा देती है थकन,
चल आग जलायी जाए, बरतन को चढ़ाया जाए।
इन बंद कमरों में कहां, मिलता पायेगा सच में सुकूँ,
धूप है छत पे चल, लुफ़्त उठाया जाए।
टुकडों टुकडों में जो तू, बँट रहा है सब में,
आराम से जोड़ा जाए, खुद से मिलाया जाए।
- नितिन कुमार हरित #nitinkrharit
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