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'शिक्षा'
शिक्षा सबकी मूल है, पर शिक्षित है कौन?
रट कर बोले बोल या, भीतर से जो मौन?
भीतर से जो मौन, समझकर जग की माया,
कठिन जो थे आखर, भले जो समझ न पाया,
जो करुण या जिस के, दर से मिली ना भिक्षा,
भाव जगा ना सके, 'हरित' वो कैसी शिक्षा।
- नितिन कुमार हरित
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