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हरित की कुंडलियां
हरित देख संसार में, तरह तरह के लोग,
बातें करें विधान की, प्रेम न जानें योग,
प्रेम न जानें योग, मगर उपदेश घनेरे,
बिना प्रीत के कहां मिटेंगे जग के फेरे,
निज का ना कुछ ध्यान, ये प्रेम का कहे गनित,
पर पीड़ा, प्रभु प्रेम, सुन संत के भाव हरित।
~ नितिन कुमार हरित
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