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'एक हकीकत ये भी'
बेटे की शादी से पहले और शुरुवाती दिनों में...
मां बाप, बेटे से :- देखो बेटा, अब तुम्हारी शादी ही गई है। तुम्हें अपनी ज़िम्मेदारी समझनी होगी। सोचने का तरीका बदलना होगा, ऐसे काम नहीं चलेगा।
रिश्तेदार:- देखो बेटा, अब तुम्हारी शादी ही गई है। तुम्हें अपनी ज़िम्मेदारी समझनी होगी। सोचने का तरीका बदलना होगा, ऐसे काम नहीं चलेगा।
पत्नी, पति से :- देखिये, अब हमारी शादी ही गई है। हमें ज़िम्मेदारी समझनी होगी, खासकर तुम्हें। कल के बारे में सोचना होगा। सोचने का तरीका
बदलना होगा, ऐसे काम नहीं चलेगा।
दोस्त :- ओ भाई मान लिया तेरी शादी ही गई है। मगर अपनी दोस्ती में कोई भसड़ नहीं चाहिए। हम नहीं सुनेंगे किसी की।
बेटे की शादी के कुछ सालों बाद...
मां - बाप आपस में :- बेटा बदल गया है हमारा। अब वो बात नहीं रही। शादी के बाद से चाल ही बदल गई है। सच है, शायद इन तिलों में तेल ही नहीं।
रिश्तेदार पूरी दुनिया में :- अरे भाई, कल जैसा नहीं है कुछ। ये आज कल के बच्चों की दुनियां ही अलग है। ये नहीं समझते किसी को कुछ। अब देखो, उनका लड़का भी बदल ही गया। हमें तो पहले ही मालूम था, दुनियां देखी है हमने।
पत्नी, पति से:- पता नहीं कैसे बदल सा गया है सब। बोर हो गई है जिंदगी। बाकी किसी और का मुझे कोई गम नहीं, पर तुम भी बदल गये। समझ नहीं आता, क्या इसी दिन के लिए की थी शादी।
वो दोस्त जो वादा कर रहे थे, उनकी भी शादियां हो गईं। सब अपने अपने घर में खुद से :- क्या दिन थे वो पुराने...!
कभी कभार फोन पर दोस्त आपस में :- भाई मस्त चल रही है लाइफ। सेट है एकदम। कभी मिलने का प्लान बनाते है यार....
पीछे से- अरे एक मिनट सुनो...
दोस्त :- चल भाई, मजा आ गया आज बात करके, कुछ अर्जेंट काम आ गया है, बाद में करता हूं.......
- नितिन कुमार हरित #NitinKrHarit
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