
Share0 Bookmarks 142 Reads0 Likes
मेरे अंदर
आज भी है एक गांव
जहां आज भी हैं मिट्टी के घर
मिट्टी के रास्ते
जहां आज भी चौपाल लगतीं हैं
हुक्के गुड़ गुड़ करते हैं
रात को आँगन में कई खाट
एक साथ लगा दी जाती हैं
और आपस में बाते करते करते
हम कब सो जाते हैं, पता ही नहीं चलता
जहां आज भी घंटियों की आवाज़ें आती हैं
दूर कहीं मंदिरों से नहीं,&
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments