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शरीर के दुःख से, दुखी होगा केवल शरीर,
बस यही सोचकर मैं उठा, और फिर चल दिया।
- नितिन कुमार हरित
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बस यही सोचकर मैं उठा, और फिर चल दिया।
- नितिन कुमार हरित
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