
Share0 Bookmarks 73 Reads0 Likes
'बेपेंदी के लोटे'
एक ही मुंह से बोलते, तरह तरह के बोल,
कलयुग के ये आदमी, बन बैठे हैं ढोल,
बन बैठे हैं ढोल, छोड़ दी सब मर्यादा,
उसके गाएं गीत इन्हें जो पीटे ज्यादा,
इनका क्या ईमान? हरित तू चल के देख,
बेपेंदी के लोटे, मिलेंगे एक से एक।
- नितिन कुमार हरित #NitinKrHarit
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments