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मै नही देख सकता
माँ के आँचल से बिखर कर
नन्ही किलकारियों को मरते नही देख सकता,
उस अत्यंत प्रेम की मुर्ति को ,
बिखरते नही देख सकता ।
धर्म जाती पर बांटा जिसने
उन्हे कामियाब होते नही देख सकता,
द्वेष की आग में बच्चों को
जलते नही देख सकता।
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