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मै नही देख सकता
माँ के आँचल से बिखर कर
नन्ही किलकारियों को मरते नही देख सकता,
उस अत्यंत प्रेम की मुर्ति को ,
बिखरते नही देख सकता ।
धर्म जाती पर बांटा जिसने
उन्हे कामियाब होते नही देख सकता,
द्वेष की आग में बच्चों को
जलते नही देख सकता।
युद्ध बीमारी की आँधी में
नन्हे हाथों के भविष्य़ को उजड़ते नही देख सकता
नन्ही जान को,
दफन मे दफनाते नही देख सकता।
विश्व को उन नन्ही जान के प्रति
असंवेदनशील नहीं देख सकता,
इंसानियत को इस धरती पर
मरते नही देख सकता।
नितेश
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