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कब आओगे, तुम कब आओगे।
अब तो दिन गुज़रा, शाम ढली, रात भई जी,
कब से तेरी राह तकें
कब आओगे, तुम कब आओगे।
वादा किया था कि आज हम मिलेंगे,
जो भी है दिल में एक दूजे से कहेंगे।
निर्मल बहती जैसे गंगा कि धारा,
प्रेम रूपी गंगा में हम भी बहेंगे।
लेकिन,
वादा तोड़ दिया, ये क्या बात भई जी,
कब से तेरी राह तकें
कब आओगे, तुम कब आओगे।
अब तो दिन गुज़रा, शाम ढली, रात भई जी,
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