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फिर से मिलेंगे जो हम तुझसे ऐ सनम,
तबीयत फिर बिगड़ेगी,
धड़कन फिर से बढ़ेगी,
सांसे फिर से थमेंगी,
मर जाएंगे हम,
रहो दूर सनम,,,
खुश हैं - खुश हैं हम यहां,
पास आने की यूं ज़िद ना करो,
ठहरे हुए पानी मे आग
लगने कि यूं ज़िद ना करो।
बारिश की ये बूंदे बनकर
कब तक मुझ पे बरसोगे,
भीगी हुई रातों में मुझको
जलाने की यूं ज़िद न करो।
चाहते रहोगे हरदम मुझको ऐ सनम,
तबीयत फिर बिगड़ेगी,
धड़कन फिर से बढ़ेगी,
सांसे फिर से थमेंगी,
मर जाएंगे हम,
रहो दूर सनम।
नितेश शर्मा
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