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पीपल के झूले का इंतजार पूरा हुआ है शायद,
हवा के झोंके ने उसे कुछ यूं झुलाया होगा।
चिड़ियां चबूतरे पर लौट आयी हैं,
कोई भटका हुआ मुसाफिर इस गली आया होगा।
छत पर मिर्च के अचार की महक फैली है,
वो सर्दी के मौसम की धूप लाया होगा।
इक नई सी रोशनी फैली है घर में,
उसने आंगन की तुलसी पे दिया जलाया होगा।
चौखट पे नई सी चमक है,
वो शायद अपना बचपन समेट लाया होगा।
यादों के तहखाने से कित
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