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तेरे नाम का गुलाल रक्खा है,
फागुन में एक दिन त्योहार रक्खा है।
तेरे जमाल का ही ऐसा कमाल रहता है,
मौसम भी आज बवाल हो रक्खा है।
तुझे रंग दूं यही एक ख्याल रहता है,
कुछ खुशियां कुछ गुझिया सम्भाल रक्खा है।
मां ने शगुन निकाल रक्खा है,
इस होली का रंग लाल रक्खा है।
दूरियों का ही मलाल रहता है,
तेरे बगैर रंगों में क्या ही रक्खा है ।
तेरे नाम का गुलाल रक्खा है,
फागुन में एक दिन त्योहार रक्खा है।
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