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मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये ।
तुम लक्ष्मी हो धनतेरस की ,
मै सालों से पड़ा कबाड़ प्रिये।
तुम दीवाली की रौनक हो,
मै अमावस्या की रात प्रिये।
तुम छठ पूजा का अर्पण हो,
मै धक्के खाता आदम हूं ।
तुम गांव की हो स्वच्छ हवा,
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