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मुझे मालूम है ,
तुझे मेरा इन्तज़ार रहता है।
तेरी दहलीज पर ,
एक दिया बुझा-बुझा सा रहता है।
क्या नुमाइश कराऊं ,
फटेहाल इश्क का मै !
तेरी महफिलों में ,
हजरातों का मजमा लगा रहता है।
तेरा ज़िक्र
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