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पागल लोगों को पागलपन से कोई कैसे रोक सकता है,
हम जैसों को मोहब्बत से कोई कैसे रोक सकता है ।
हमने कितनी कोशिशें की गुफ्तगू करने की,
तुम्हे जवाब ना देने से कोई कैसे रोक सकता है।
मेरी सोहबत में दिल ना लग रहा हो तो जा सकते हो,
जज्बातों को बदलने से कोई कैसे रोक सकता है ।
तुम्हे फ़ुज़ूल में रोकने की चाहत ना रही कभी,
चांद को टहलने से कोई कैसे रोक सकता है ।
दिल जानता है जब कायनात में एक ही महताब है,
उसके इश्क़ में गिरफ्त होने से कोई कैसे रोक सकता है ।
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