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बचपन की चितराई यादें,
बिछी हुईं हैं लम्हों की लांन पर,
बचपन के गलियारों में,
बिखरे हैं कंचे इधर-उधर।
शाम का नारंगी आसमां,
याद दिलाता मासूम बचपन की,
नुक्कड़ पे मिलती आरेंज कैंडी की,
दादा जी के किस्से और चांदनी रात।
नीम का वह पेड़,
जो कभी भूत बन के डराता,
कभी रोशनी से इश्क करता,
नीला पड
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