
Share0 Bookmarks 97 Reads0 Likes
चंपक वन से रिश्ता आया
प्यारे बंदर मामा का,
न्योता देते गला है सूखा
न्यारे बंदर मामा का।
अब तक तो बंदर मामाजी
कूदम-कूद मचाते थे,
धमा-चौकड़ी मचा-मचाकर
सबको खूब हँसाते थे।
लेकिन अब बंदर मामाजी
मामी के पीछे भागेंगे,
हम लोगों की न सुनकर
उनकी ही बातें मानेंगे।
नटखट बंदर मामा की
न रहा खुशी का कोई पार,
बैठे थे यूं कुंवारे अब तक
घोड़ी पर हैं आज सवार।
घोड़ी ने जो ऐंठ लगाई
उछले बंदर मामाजी,
सीधे कूद लगा चंपक वन
पहुँचे बंदर मामाजी।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments