हम लोग...'s image
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बाहर उजले, भीतर काले, रंग बहुत से भरे हुए,

लाभ-हानि के फेर के हरदम, लेखे-जोखे हैं हम लोग।


मत समझो हमको अपना, हैं अपनी ही धुन के जोगी,

करके सौदा खाल बेच दें, ज़िंदा धोखे हैं हम लोग।


सबसे हिलना-मिलना-जुलना, देख हरेक को मुस्काना,

धंधा जिनका यही, दीवाने, उन्हीं 'भलों' के है हम लोग।


शब्दकोश में अपने यारों, नहीं भरोसा अपनापन,

चादर से ईमान की झांकें, घने झरोखे हैं हम लोग।


हँसते हैं यूँ ही जबरन, बेवजह दिखाएँ बत्तीसी,

रख दो हमें नुमाइशघर में, बड़े अनोखे हैं हम लोग।  

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