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बाहर उजले, भीतर काले, रंग बहुत से भरे हुए,
लाभ-हानि के फेर के हरदम, लेखे-जोखे हैं हम लोग।
मत समझो हमको अपना, हैं अपनी ही धुन के जोगी,
करके सौदा खाल बेच दें, ज़िंदा धोखे हैं हम लोग।
सबसे हिलना-मिलना-जुलना, देख हरेक को मुस्काना,
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