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भावों की तू अजब पिटारी, अरमानों का तू सागर,
नाज़ुक से अहसासों की एक, नर्म-मुलायम सी चादर।
खट्टी-मीठी फटकारें और कभी पलटकर वही दुलार,
जीवन का हर पल तुझमें माँ, तुझसे है सारा संसार।
जिसकी खातिर सब कुछ वारा, अपनी खुशियाँ जानी ना,
वक़्त कहाँ उस पर अब माँ, तेरे दुःख-दर्द चुराने का।
उम्मीदों को पंख लगाने, बड़े शहर को निकला जब,
छुपी रुलाई देखी तेरी, प्यार का तब समझा मतलब।
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