
आगे की कहानी शुरू करते हैं
सिया अपना इंटरव्यू दे कर घर लौटने के लिए बस का इंतजार कर रहीं थीं कि वो वहां दो लोगों को आपस में बहस करते हुए देखती है और उसके मन मे कुछ सवाल उठते हैं और वो उन दोनों से पूछ ही लेती है कि आप दोनों बहस क्यों कर रहे हों क्या बात हैं
पास खड़ा लड़का सिया से कहता है कुछ नहीं बस प्रेम विवाह का नतीज़ा है ये सब ना में प्यार करता और ना मेरी इससे सादी होती और ना मुझे इसका गुलाम बनना पड़ता हूँ
पास खाड़ी लड़की जो उसकी पत्नी है वो बोलती हैं गलती तो मेरी ही है जो मेने अपने पापा की बात ना मानकर उस पड़ें लिखे लड़के को छोड़कर तुमसे तुम जैसे बेरोजगार से सादी कर ली हूँ
सिया अच्छा तो आप लोगों ने love marriage की थी फिर तो आपको खुश होना चाहिए कि जिसे आपने चाहा वो आपको मिल गया सब की किस्मत ऐसी नहीं होती कि वो चाहे किसी को और उसे पा भी ले
पास खाड़ी लड़की बोलती है ये सब बातें सादी के पहले ही अच्छी लगती है सादी के बाद इन बातों का कोई मतलब नहीं है तुम नहीं समझोगी अभी तुम्हें ये बात बाद में समझ आएगी
" इतने में सिया की बस आ जाती हैं सिया उसमें बैठकर एक ही बात सोचती है "
सिया- क्या सच मे किसी को सिर्फ पा लेना प्यार है तो फिर वो लोग क्यों खुश नहीं थे पर पूजा ने तो ऐसा ही कहा था आखिर ये प्यार है क्या
" इतना सोचते सोचते सिया का घर आ जाता है बस का तेज झटका लगता है सिया का सर आगे जाकर लगता है "
सिया- उफ्फ घर आ गया और मुझे तो कुछ पता ही नहीं चला
इतना कहकर सिया बस से नीचे उतरती हैं और अपने घर जाती हैं
" क्या इस वक़्त सिया जो सोच रही है हमने भी वो कभी ना कभी हम सब ने सोचा है और इसका जवाब ढूढ़ने की हम सब ने बहुत कोशिश की है जैसे अभी सिया कर रहीं हैं पर क्या आपको पता चला कि प्यार है क्या अगर नहीं चला तो एक बार फिर सोचिए कि ये प्यार है क्या क्या पता शायद अब पता चल जाए आपको भी "
" कैसी है मेरी बच्ची आज का दिन कैसा गया तुम्हारा तुम खाना खाओ पहले फिर मुझे बताना कि क्या हुआ ठीक है सिया की माँ उससे कहती है "
सिया- खाना खाने बैठती है और अपनी माँ से पूछती हैं
माँ ये प्यार क्या होता है
" माँ- प्यार वो है जो माँ अपने बच्चों से निस्वार्थ करती हैं बच्चे चाहे जितनी भी बड़ी गलती करे वो फिर भी उन्हें माफ़ कर दे बस यहि प्यार है "
सिया- बस
माँ - हाँ और क्या
सिया- तो क्या आप सिर्फ मुझे ही प्यार करती हैं पापा से नहीं
माँ- करती हूँ बेटा बहुत प्यार करती हूँ मैं उनसे
सिया- क्या आपने उनसे सादी अपनी मर्जी से की थी क्या आप उनसे सादी से पहले से प्यार करती थी
" माँ- नहीं सिया मैं तो उन्हें जानती तक नहीं थी ना हम पहले कभी मिले थे ये रिसता मेरे पापा मतलब कि तेरे नाना जी नें तय किया था मैंने तो इन्हें पहली बार साथ फेरे लेते वक़्त देखा था मेरी इनसे सादी हो गई और मैंने तभी इन्हें अपनी पूरी जिन्दगी मान लिया और तब से मेरे सब कुछ यही है पर तू क्यों पूछ रही है ये सब "
सिया- कुछ नहीं माँ बस ऐसे ही में सोने जाती हूँ मुझे कल सुबह फिर शहर जाना है अपने इंटरव्यू का परिणाम देखने के लिए मैं जाती हूँ by माँ
" सिया सोने के लिए अपने कमरे में आती हैं लेकिन सो नहीं पाती उसे रात भर बस एक ही सबाल परेशान कर रहा है कि ये प्यार है क्या "
सिया सुबह उठती है और शहर जाने के लिए तैयार होती है अच्छा माँ में चलती हूँ
सिया बस में चढती है और फिर वहीं सब सोचती है उसकी सीट पर एक लड़का बैठता है वो उसका पुराना स्कूल का दोस्त निकलता है
सिया आर प्रदीप तुम, तुम कहा जा रहे हो
प्रदीप- कुछ नहीं मैं बस अपने लिए लकड़ी देखने जा रहा हूँ
सिया- अच्छा फिर वो लड़की भी तुम्हें देखने आएगी
प्रदीप- अरे नहीं लड़कियां देखने नहीं आती है लड़कों को
सिया- क्यों सादी सिर्फ तुम अकेले ही करोगे क्या सादी तो वो लड़की भी तुमसे करेगी ना फिर जो हक तुम्हें है वो उसे क्यों नहीं बल्कि उसे तो और ज्यादा हक होना चाहिए क्योंकि वो अपने घर को छोड़कर तुम्हारे पास आएगी तो उसे आकर देखना चाहिए कि तुम और तुम्हारा घर, घरवाले कैसे है
प्रदीप- कह तो तुम सही रही हो पर ऐसा अभी तक तो नहीं हुआ कि कोई लड़की लड़के के घर आयी हो उसे देखने के लिए, एक काम करना सिया ये रीत तुम शुरू करना ठीक है
इतना कह कर दोनों हसने लगते हैं और दोनों सहर पहुंच जाते हैं और दोनों अपने अपने रास्ते निकल जाते हैं
सिया ऑफिस पहुंचती है और देखती है कि सब लोग मिलकर उसकी दोस्त पूजा को बधाइयां दे रहे हैं
सिया पूजा के पास आकर पूछती हैं क्या बात हैं पूजा ये सब तुम्हें किस बात की बधाई दे रहे हैं
पूजा- अरे सिया अच्छा हुआ कि तुम भी आ गई में तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी तुम्हें पता है कि हमने जो इंटरव्यू दिया था उसमें मेरा selection हो गया है मुझे ये नौकरी मिल गई है
सिया- अच्छा मुबारक हो
पूजा सिया को thank you
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