
इश्क़, प्यार, मोहब्बत और इबादत क्या है ये सब क्या ये सब एक ही है या अलग अलग है क्या प्यार करना और उसे पा लेना इश्क है नहीं ऐसा कैसे हो सकता है अगर ऐसा होता तो राधा जरूर मिलती श्याम से पर वो नहीं मिल सके क्योंकि सिर्फ किसी को पाना इश्क़ नहीं है इश्क़ तो उसे चाहना है बेशुमार हद के भी पर वो हमारा नहीं हो सकता ये जानते हुए भी हम सिर्फ उसे ही चाहे यहि तो प्यार है जो निस्वार्थ है बस वही प्यार है जिसमें स्वार्थ है वो प्यार नहीं व्यपार है........
ये कहानी कुछ ऐसी ही है इसमें प्यार को दुनिया की नजरो से नहीं सिर्फ प्यार की नजरों से देखा है और सच तो यही है कि प्यार को प्यार की ही नजरों से देखना चाहिए ये दुनिया तो संसार चलाने वाले उस परमात्मा से भी बस दुखी ही है जब भी मोका मिलता है वो उस ईश्वर पर भी उंगली उठाने से पीछे नहीं हटती फिर हम तो इंसान है इस दुनिया ने तो उस भगवान को भी नहीं छोड़ा फिर हमारी क्या औक़ात है वैसे तो समय समय पर ईश्वर ने अनेकों रूपों में आकर हमे प्यार का मतलब समझाया है पर क्या हम समझे लगभग तो नहीं लोग कहते हैं कि राधा श्याम का प्रेम इसलिए अमर है क्योंकि वो भगवान थे पर मुझे तो ऐसा नहीं लगता अगर वो सच मे भगवान बन कर आए थे तो क्यों अपने प्रेम को ना पा सके वो भगवान ही थे पर इस धरती पर इंसान बनकर आए थे हमे ये बताने की किसी को पाना प्रेम नहीं होता प्रेम तो उसे चाहना होता है
कहने को तो श्री राम भी भगवान थे पर सोचो अगर वो सच मे भगवान बनकर आए थे तो उसे बस एक मिनिट लगता सीता माता का पता लगाने में पर उन्होंने ऐसा तो नहीं किया आखिर वो क्यों बन बन भटके क्यों उन्हे बंदरों की सहायता की जरूरत पड़ी क्यों वो अपने ही भाई की सकती से रक्षा ना कर सके क्यों उन्होंने हनुमान का इंतजार किया संजीवनी के लिए क्यों वो लोगों की नजरों में सीता को सही साबित ना कर पाए इसलिए क्योंकि वो किसी को ये ऐहसास तक नहीं होने देना चाहते थे कि वो कोन है वो बस इतना चाहते थे कि लोग ये समझे की एक इंसान अगर धैर्य, बुद्धि और विवेक से कम ले तो वो सब कुछ कर सकता है यहां कोई कमजोर नहीं है वो तो बस बताना चाहते थे कि एक इंसान की जिंदगी आसान नहीं है पर इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं हैं कि हम संघर्ष करना ही छोड़ दे हम किसी को पा नहीं सकते तो क्या हम उसे चाहना छोड़ दे,,,, नहीं बिल्कुल नहीं ये दुनिया है यहां सब कुछ हमारी मर्जी से हो ये जरूरी तो नहीं हाँ बस एक मोहब्बत ही है जो हमारे बस मैं है हम अपनी मर्जी से कुछ करना चाहे हो सकता है कि वो हो जाए पर ये जरूरी तो नहीं है कि हम जो भी चाहे वो हर बार हो जाए ऐसा तो नहीं होता है कभी ना कभी ये जिन्दगी हमे निराश जरूर करती है
मोहब्बत एक ऐसा ऐहसास है जो अपने आप ही हो जाता है और वो भी हमारी मर्जी से हम किसी अंजन अजनबी को कभी कभी इतना अपना मानने लगते हैं कि वो कुछ ना होकर भी हमारा सब कुछ हो जाता है वो दूर रहकर भी हमारे पास होता है वो किसी और का होकर भी हमारे लिए खास होता है वो भले ही हम से ना मिले पर हम हर रोज अपने ख़्वाबों में उसे अपने पास बुलाते हैं उसके पास भले ही हमारे लिए वक़्त ना हो लेकिन हम फिर भी उसके लिए वक़्त बचाते हैं वो चाहे किसी का भी दिल हो पर धड़कता हर पल हमारे सीने में है कोने होता है आखिर वो,, वो, वो होता है हमारा प्यार, वो प्यार जिसके लिए हम कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं
प्यार और सम्मान से जुड़ी ये कहानी है जिसमें एक सुन्दर सी लड़की सिया है जो सिर्फ दिवानी है सिर्फ और सिर्फ दिवानी
प्यार है उसे किसी से इंतजार है उसे बेसब्री से किसी का पर क्या उसकी प्रेम कहानी पूरी होगी क्या कभी उसका इंतजार खत्म होगा..........
एक लड़का है जुबिन जिसका उसे इंतजार है हर पल हर घड़ी पर क्या ये एक हीरे का व्यापारी कभी उस गाँव की गौरी का इंतजार खत्म कर पाएगा या फिर ये प्यार बस यू ही अधूरा रह जाएगा ये सब जानने के लिए आपको पढ़ना होगा पूरी कहानी तो फिर शुरू करते हैं प्यार की वो दासता जिसका अंजाम हमे नहीं पता है,,,,,,,,
गाँव में एक छोटा सा परिवार है जिसमें सिया और उसके बस माता पिता है उसकी कुछ सहेलियाँ और कुछ जानवर अभी तक तो बस यही सब है उसके पास
बही दूर शहर में उसके गांव से 7 समुंदर पार एक लड़का है जो हीरे का व्यापारी है उसके पिता भी हीरो का काम करते हैं माँ house wife है बहन डॉक्टर है भाई मक्कार है सब बड़े से शहर में रहते हैं उन पर कभी गाँव की परछाई भी नहीं पडी है उनके पास बहुत पैसा है लेकिन पैसा होने के साथ साथ उनका दिल भी बहुत बड़ा है जुबिन एक अच्छा इंसान है उसका भाई जय भी उसके साथ जब रहता है अच्छा बनकर ही रहता है हाँ बाहर उसकी पहचान थोड़ी सी अलग है पर आगे देखना एक ना एक दिन ये भी सुदर ही जाएगा आखिर कोई तो होगा ही इस जहां में जो सिर्फ उसे सुधारने के लिए आया होगा
कहते हैं कि ईश्वर हमारे जन्म के साथ ही हमारी म्रत्यु लिख देता है लेकिन हमे कब तक जिंदा रहना है ये हम तय करते हैं कोई तो ईश्वर के लिखे अनुसार मारते ही मर जाता है लेकिन कोई ऐसा भी होता है जो मरने के बाद भी नहीं मारता उस के काम या बाते हमेसा याद रखी जाती है और समय आने पर दोहराई भी जाती है ऐसे अनगिनत व्यक्ति है पर हम अभी उनका जिक्र नहीं करेंगे क्योंकि हमारा विषय अभी प्रेम है तो हम सिर्फ प्रेमियों का ही जिक्र करेंगे जैसे लैला मजनू
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments