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अंजाना इश्क part 1

Anushka RaghuwanshiAnushka Raghuwanshi June 13, 2022
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इश्क़, प्यार, मोहब्बत और इबादत क्या है ये सब क्या ये सब एक ही है या अलग अलग है क्या प्यार करना और उसे पा लेना इश्क है नहीं ऐसा कैसे हो सकता है अगर ऐसा होता तो राधा जरूर मिलती श्याम से पर वो नहीं मिल सके क्योंकि सिर्फ किसी को पाना इश्क़ नहीं है इश्क़ तो उसे चाहना है बेशुमार हद के भी पर वो हमारा नहीं हो सकता ये जानते हुए भी हम सिर्फ उसे ही चाहे यहि तो प्यार है जो निस्वार्थ है बस वही प्यार है जिसमें स्वार्थ है वो प्यार नहीं व्यपार है........

ये कहानी कुछ ऐसी ही है इसमें प्यार को दुनिया की नजरो से नहीं सिर्फ प्यार की नजरों से देखा है और सच तो यही है कि प्यार को प्यार की ही नजरों से देखना चाहिए ये दुनिया तो संसार चलाने वाले उस परमात्मा से भी बस दुखी ही है जब भी मोका मिलता है वो उस ईश्वर पर भी उंगली उठाने से पीछे नहीं हटती फिर हम तो इंसान है इस दुनिया ने तो उस भगवान को भी नहीं छोड़ा फिर हमारी क्या औक़ात है वैसे तो समय समय पर ईश्वर ने अनेकों रूपों में आकर हमे प्यार का मतलब समझाया है पर क्या हम समझे लगभग तो नहीं लोग कहते हैं कि राधा श्याम का प्रेम इसलिए अमर है क्योंकि वो भगवान थे पर मुझे तो ऐसा नहीं लगता अगर वो सच मे भगवान बन कर आए थे तो क्यों अपने प्रेम को ना पा सके वो भगवान ही थे पर इस धरती पर इंसान बनकर आए थे हमे ये बताने की किसी को पाना प्रेम नहीं होता प्रेम तो उसे चाहना होता है 

कहने को तो श्री राम भी भगवान थे पर सोचो अगर वो सच मे भगवान बनकर आए थे तो उसे बस एक मिनिट लगता सीता माता का पता लगाने में पर उन्होंने ऐसा तो नहीं किया आखिर वो क्यों बन बन भटके क्यों उन्हे बंदरों की सहायता की जरूरत पड़ी क्यों वो अपने ही भाई की सकती से रक्षा ना कर सके क्यों उन्होंने हनुमान का इंतजार किया संजीवनी के लिए क्यों वो लोगों की नजरों में सीता को सही साबित ना कर पाए इसलिए क्योंकि वो किसी को ये ऐहसास तक नहीं होने देना चाहते थे कि वो कोन है वो बस इतना चाहते थे कि लोग ये समझे की एक इंसान अगर धैर्य, बुद्धि और विवेक से कम ले तो वो सब कुछ कर सकता है यहां कोई कमजोर नहीं है वो तो बस बताना चाहते थे कि एक इंसान की जिंदगी आसान नहीं है पर इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं हैं कि हम संघर्ष करना ही छोड़ दे हम किसी को पा नहीं सकते तो क्या हम उसे चाहना छोड़ दे,,,,    नहीं बिल्कुल नहीं ये दुनिया है यहां सब कुछ हमारी मर्जी से हो ये जरूरी तो नहीं हाँ बस एक मोहब्बत ही है जो हमारे बस मैं है हम अपनी मर्जी से कुछ करना चाहे हो सकता है कि वो हो जाए पर ये जरूरी तो नहीं है कि हम जो भी चाहे वो हर बार हो जाए ऐसा तो नहीं होता है कभी ना कभी ये जिन्दगी हमे निराश जरूर करती है 

मोहब्बत एक ऐसा ऐहसास है जो अपने आप ही हो जाता है और वो भी हमारी मर्जी से हम किसी अंजन अजनब

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