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जी हां मैं राजस्थान हूं।
शौर्य और बलिदान का,मैं एक प्रमाण हूं।
रक्त संचित है कण-कण मेरा, त्याग प्रेम का सार हूं।
जी हां मैं राजस्थान हूं।
दुर्गादास सा स्वामी भक्त में,
चंदन का बलिदान हूं।
पन्ना का त्याग में ,
प्रताप का अभिमान हूं।
जी हां मैं राजस्थान हूं।
सतीत्व में सती हुई,
पद्मिनी का प्रमाण हो।
अकबर के टूटे सपनों का,
मैं इतिहास हूं।
जी हां मैं राजस्थान हूं।
लंबे चौड़े भूगोल वाला, रेगिस्तानी धोरो वाला।
कल-कल करती नदियों वाला, अकाल में भी सुकाल हूं।
जी हां मैं राजस्थान हूं।
भरतहरि की तपोभूमि में,
दयानंद का क्षान हु ।
महाभारत का हिस्सा भी हूं।
इतिहासो का किस्सा भी हु।
जी हा में राजस्थान हूं।
निरंजन सैन
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