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प.प्यार करे
मिलान कुंडलिनी होता रहा
देर तलक तलाश हुई
मिली ना कोई स्वीटी
नीरा स हुए कर्णधार
भीड़ भरे बाजार में
खड़ी मिली तक़दीर
खुशबु झरी फूल से
दिल गया पास से
एकटक हम देखते रहे
खड़ी वो मुस्कराती रही
तक़दीर बनी जिंदगी की डोर
हो गए एक दो अनजान
मिट गए सब रंजो गम
बह गयी नदी प्यार की
दो किनारे एक हुए
पनपा जीवन धारा बीच
प्यार की दुनिया है अलग
लिए है अपना आलम मस्त
कवि फोरम
रचना
निरंजन गौतम दत्त
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