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उम्मीद
तुमने जो
हाथ झटका
दिल में खटका
मन भी अटका
मौसम की फटक
दिल की चटक
मन ना मने
सुभह है सांवली सलोनी
अब ना खुशगवार है
शामे ठिकाने थे मधुशाला में
अब चिराग गुल है मयखाने में
छलके ना जामे नशा
अब आँखों से
विरह की बुँदे
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