
कुछ ख़्वाब जो सिर्फ ख़्वाब रहेंगे
उन्हें सच कर चुकी होती।
काश!मैं तुमसे पहले मिली होती।
तुम मुझे छुप छुपकर देखते
मैं भी तुमसे नज़रे चुरा रही होती
रोज़एक दूसरे का कॉलेज पहुचने का इंतज़ा होता।
क्लास में हमारी चर्चा आम हो चुकी होती।
काश! मैं तुमसे पहले मिली होती।
मैं तुम्हारे लिए सज कर आती।
तुम उन प्यार भरी आँखों से मुझे निहारते।
तुम कुछ पैसे यूँही बचाकर मेरे लिए तोहफा लाते।
वो तोहफा तुम अपने हाथों से मुझे पहनाते।
मैं शर्म से लाल हो चुकी होती।
काश! मैं तुमसे पहले मिली होती।
तुम्हारी मेहनत में तुम्हारा हिस्सा बनती
तुम्हारी सफलता का साथ मे जशन मनाती।
उस सफलता का श्रेय भी जब तुम मुझे देते।
मैं तुम्हारी संगिनी बनने के सपने सजा चुकी होती।
काश! मैं तुमसे पहले मिली होती।
तुम अपने घर पर मेरी बात चलाते।
मेरे घरवालों को भी तुम ही मनाने आते।
हम मिलकर दाम्पत्य जीवन के सपने सजाते।
एक दूसरे को पाने की कसम खाई होती।
काश! मैं तुमसे पहले मिली होती।
मैं तुम्हारी बनकर तुम्हारे घर आती।
माँग में सिंदूर, आँखों मे सपने सजा लाती।
उस पहली रात जब हम प्रेमी ही नही, जीवनसाथी की तरह मिले होते,
मैं खुद को तुम्हारी बाहों में छुपा चुकी होती।
काश! मैं तुमसे पहले मिली होती।
तुम्हारे घर को अपना बनाकर सजाती।
अपनो हाथो से कोना कोना निखारती।
एक नन्ही किलकारी घर मे गूँजती।
वो ज़िम्मेदारीहमने साथ निभाई होती।
काश! मैं तुमसे पहले मिली होती।
पर ये सब ना होने का कोई गम नही है।
तुम्हें पा लिया ये भी कुछ कम नही है।
ये थोडा समय जो मुझे मिला है।
इसे जीना है पूरी तरह।
प्यार करना है बेपनाह।
तुम खुश रहो हमेशा यही मेरी दुआ है।
मैं कहीं तो तुम्हारे साथ हूँ ये मेरे दिल की सदा है।
तुम्हें पाकर मेरी आँखें खुशी से नम तो सही हैं
पर तुम्हें पा लिया यही कुछ कम तो नही है।
पर अगर ये ख़्वा, ये बातें सच हुई होती।
मैं दुनिया के सामने तुम्हें अपना कह चुकी होती।
तुम्हारा हाथ थाम मैं गर्व से सबके सामने इस जीवनपथ पर चल चुकी होती।
काश!मैं तुमसे पहले मिली होती।
काश! मैं तुमसे पहले मिली होती।
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