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Romantic PoetryPoetry3 min read

काश! मैं तुमसे पहले मिली होती।

Nikita SuviNikita Suvi October 28, 2021
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कुछ ख़्वाब  जो सिर्फ ख़्वाब रहेंगे

उन्हें सच कर चुकी होती।

काश!मैं तुमसे पहले मिली होती।

 

तुम मुझे छुप छुपकर देखते

मैं भी तुमसे नज़रे चुरा रही होती

रोज़एक दूसरे का कॉलेज पहुचने का इंतज़ा होता।

क्लास में हमारी चर्चा आम हो चुकी होती।

काश! मैं तुमसे पहले मिली होती।

 

मैं तुम्हारे लिए सज कर आती।

तुम उन प्यार भरी आँखों से मुझे निहारते।

तुम कुछ पैसे यूँही बचाकर मेरे लिए तोहफा लाते।

वो तोहफा तुम अपने हाथों से मुझे पहनाते।

मैं शर्म से लाल हो चुकी होती।

काश! मैं तुमसे पहले मिली होती।

 

तुम्हारी मेहनत में तुम्हारा हिस्सा बनती

तुम्हारी सफलता का साथ मे जशन मनाती।

उस सफलता का श्रेय भी जब तुम मुझे देते।

मैं तुम्हारी संगिनी बनने के सपने सजा चुकी होती।

काश! मैं तुमसे पहले मिली होती।

 

तुम अपने घर पर मेरी बात चलाते।

मेरे घरवालों को भी तुम ही मनाने आते।

हम मिलकर दाम्पत्य जीवन के सपने सजाते।

एक दूसरे को पाने की कसम खाई होती।

काश! मैं तुमसे पहले मिली होती।

 

मैं तुम्हारी बनकर तुम्हारे घर आती।

माँग में सिंदूर, आँखों मे सपने

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