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उसकी क्या बात करूँ,
वो सब ही तो करती है,
शिकन एक नहीं चेहरे पर उसके,
दिल मे हिम्मत का समंदर रखती है।
अपने माँ-बाबा के लिए,
एक बेटा बन कर जीती है,
उनकी हर ज़रूरत पूरा कर,
उनके थोड़े दर्द बटोर चलती है ।
अपनी बच्चों के लिए,
एक मिसाल बन कर चलती है,
उनकी हर मुस्कान के लिए,
अपने सारे सपने कहीं छुपा कर चलती है।
परिवार का अहम हिस्सा है,
सबकी पूरी देख रेख करती है,
सबके बेहतर भविष्य के लिए,
रोज़ चार पैसे जमा कर चलती है।
हर कर्तव्य को पूरा कर,
वो अपना भी पूरा खयाल रखती है,
हिम्मत नहीं किसी की जो वजूद हिला सके,
ऐसी शख्सियत ले कर, वो अपनी शर्तों पर चलती है।
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