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झोला टांगे कंधों पर, बचपन को चहकते देखा।
नन्हे फूलों को खुद अपनी, खुशबू में महकते देखा।
कल की कोई फिक्र नहीं, आज को खुल कर जीने वाले
खिलखि
नन्हे फूलों को खुद अपनी, खुशबू में महकते देखा।
कल की कोई फिक्र नहीं, आज को खुल कर जीने वाले
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