
आज फ़िर तेरी याद आयी है
सालों बाद जब भीड़ में एक
जानी पहचानी सी दिखी परछाई है
आज फ़िर तेरी याद आयी है
जाने किस चीज़ के नशे से हम पे
ये बेखुदी सी छाई है
आज फ़िर तेरी याद आयी है
के तेरा रूठ जाना गलती से भी
गंवारा नहीं हुआ करता था हमें
अब तेरी शक्ल को भी ना देखूं कभी
ऐसी मेरी रुसवाई है
के आज फ़िर तेरी याद आयी है
वो दिन याद कर जब तूने बारिशों में, दिल की बातें मुझसे कही थी
वो मंजर याद कर जब तू मुझसे, लिपटकर उस दिन खूब रोया था
वो वक़्त याद कर जब मेरे दिन, तुझी से शुरू हुआ करते थे
वो लड़की याद कर जिसकी कभी, तू ज़िन्दगी हुआ करता था
तोड़ी हर उम्मीद तूने, और तन्हाई में मैं तड़पी थी
तुझसे कर लूं जुदाई, इतनी हिम्मत कहां मुझमें थी
पर अब नहीं रहा वो समा, ना रहा तू पहले जैसा
एक नई सी हवा चली है, ये नया आरम्भ कैसा
मेरे जैसी वफ़ा क्या कर पाएगा कोई तुझसे?
तुझसे बढ़ कर भी कभी, क्या कोई जान पाएगा तुझे?
तेरी आवाज़ पे ही चल दे जो, ऐसी कोई ला पाएगा?
जिसका प्यार तू हो, यार तू हो, बोल कहां से लाएगा?
किससे मिलने के बहाने अब गलियों के चक्कर तू लगाएगा
के अब तू ढूंढता रह जाएगा, पर मुझे फ़िर ना देख पाएगा
यूं तो रखा नहीं कुछ भी कहने-सुनने के लिए
ना ही दिल में तेरे वापस आने की आस मैंने जगाई है
पर जाने क्यूं हैं ये आंखें मेरी नम
शायद आज फ़िर तेरी याद आयी है।।
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