प्रिये...'s image
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मन तृप्ति पर नहीं जा रहा 
तुम नजदीक थोड़ा आओ प्रिये
नजरों को अपना स्पर्श दो 
हृदय से बतलाओ प्रिये 
आत्मा दुर्बल हो रही 
तुम आकर समझाओ प्रिये
इत्र की फिर महक बन
रग रग में रम जाओ प्रिये |
.
मेरे हर्ष की शुरुआत बन 
पीड़ा पर एक बरसात बन 
रिहा कर दुख की कैद से 
एक पंछी सी मुलाकात बन 
तुम अपने उत्तम आचरण से 
मुझसे फुसलाओ प्रिये 
वक्त बन जाओ प्रिये 
हर वक्त बन जाओ प्रिये 
नजरों को अपना स्पर्श दो 
हृदय से बतलाओ प्रिये |
.
भांप कर मेरे आज को 

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