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मन तृप्ति पर नहीं जा रहा
तुम नजदीक थोड़ा आओ प्रिये
नजरों को अपना स्पर्श दो
हृदय से बतलाओ प्रिये
आत्मा दुर्बल हो रही
तुम आकर समझाओ प्रिये
इत्र की फिर महक बन
रग रग में रम जाओ प्रिये |
.
मेरे हर्ष की शुरुआत बन
पीड़ा पर एक बरसात बन
रिहा कर दुख की कैद से
एक पंछी सी मुलाकात बन
तुम अपने उत्तम आचरण से
मुझसे फुसलाओ प्रिये
वक्त बन जाओ प्रिये
हर वक्त बन जाओ प्रिये
नजरों को अपना स्पर्श दो
हृदय से बतलाओ प्रिये |
.
भांप कर मेरे आज को
एक घुट रही आवाज को
अंदाज बन हमराज का
निपुण कर परवाज को
दवा परवाह की लगा कर
मुझको बहलाओ प्रिये
हर दर्द सहलाओ प्रिये
हमदर्द बन जाओ प्रिये
नजरों को अपना स्पर्श दो
हृदय से बतलाओ प्रिये |
.
अपनत्व हो एकांत में
शब्द हो जब शांत मैं
अपनी पहचान बनाओ तुम
मेरे प्रेम पूर्ण वृत्तांत में
समीप हो जाओ प्रिये
इश्क दर्शाओ प्रिये
हालात को बदलो प्रिये
हालात बन जाओ प्रिये
नजरों को अपना स्पर्श दो
हृदय से बतलाओ प्रिये ||
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