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लीडरों की डीब्बरी टाईट
(नीरज शर्मा)
है चल रहा फिर से चुनावो का इस समय दौर,
है मच रहा बस इसी का चारो ओर भारी शौर,
हर पार्टी मांग रही है हाथ जोड़ के वोट,
बहा रहे जीत के लिए पानी की तरह नोट,
कोई मांगे वोट दे दो तुम मेरी इस जात पर,
कोई चाहे वोट ले लू जनता से बस बात कर,
कोई सोचे मिलेगी वोट दूजे की काट से,
कोई माने ले लो वोट जनता को बांट के,
किसी को बस पैसे पर अपने भरोसा है पूरा,
किसी को भरोसा दूजे का काम पड़ा है अधूरा,
कई तो फ्री में आज है राशन तक भी बांटते,
कई जा के लोगो के हैं तलबे तक भी चाटते,
कुछ तो बाते करते हैं आधुनिक समाज की,
कुछ बातें अजब हैं बताते प्राचीन विवाद सी,
कितने यहां लोगो को झूठे सब्जबाग दिखाते,
कितने ही यहां बायदो से है सारी दुनिया हिलाते,
कई तो घर गरीब के जबरदस्ती आ रोटी हैं खाते,
कई है घर गरीब के बस फोटो खिंचवाने ही आते,
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