मुख़्तार तुम's image
Share0 Bookmarks 91 Reads3 Likes


              
राह के पत्थर से थे बेकार तुम,
फ़र्ज़ जब समझे बने मुख़्तार तुम।

हो गए लाचार बूढ़े बाप जब,
छोड़ना उनको न यूँ बीमार तुम।

माँ तुम्हारी रोज़ सपने बुन रही,
ख़्वाहिशों के बन गए अम्बार तुम।

नफ़रतों की आग में क्यूँ घिर गए?

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts