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शायरी तेरी मेरी

Neelam bansalNeelam bansal April 21, 2023
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दिल तेरे दायरे से निकलता नहीं है क्यों 

आलम इसे गमों का अब खलता नहीं है क्यों ।।


क्यों झील सा ये ठहर गया है यहाँ ! ख़ुदा 

रस्तों पे ज़िंदगी के ये चलता नहीं है क्यों ।।


तन्हाई रास आने लगी क्यों इसे यहाँ

अब देख कर शबाब मचलता नहीं है क्यों ।।


राधा ने श्याम बिन ही गुज़ारी तमाम उम्र

आख़िर नसीब का लिखा टलता नहीं है क्यों ।।


बादल की बूंदों से ही बुझाएगा अपनी प्यास

चाहत ये चातक अपनी बदलता नहीं है क्यों ।।


नीलम बसंल

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