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वो पकड़ मेरी बांह पूछता है
दर्द क्यों ये अथाह पूछता है
इश्क़ कैसे बयां करूं उस से
मुझसे वो मेरी चाह पूछता है
दिल लगा और से वो अब यारों
क्यो चुराते निगाह पूछता है
इश्क़ से यूं भरा हुआ दिल ये
होता क्या ख़ुश निगाह पूछता है
रेज़ा-रेज़ा हुआ ये दिल मेरा
ये ख़लक़ ग़म की आह पूछता है
वो सबब अश्कों का नहीं यारों
मुझसे मेरा गुनाह पूछता है
नीलम बंसल
नीलम बंसल
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