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इश्क़ की राह में सैलाब मिला था मुझको
हर मुसाफ़िर यहां बेताब मिला था मुझको
इश्क़ के मारे सभी लोग थे तन्हा यारों!
सबकी आंखों में यहां आब मिला था मुझको
मेरे कहने से जरा पहले समझ ले बातें
अब तलक़ ऐसा न अहबाब मिला था मुझको
ज़द में आती गई चाहत में खुशी की जिस मैं
वो गमों का यहां गिर्दाब मिला था मुझको
वक्त के साथ मुहब्बत भी बदल लेता था
ऐसा इंसा कोई नायाब मिला था मुझको
कैफ़ ओ ग़म के किसी लम्हें में न बदला जो कभी
प्यार मां बाप का शादाब मिला मुझको
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